Bhagwat Geeta Updesh

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☝️ न जायते म्रियते वा कदाचिन्ना, 😮 यं भूत्वा भविता वा न भूयः।
💀 अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो, न हन्यते हन्यमाने शरीरे 💀 ॥

अर्थात् -: आत्मा किसी काल ☠️ में भी न जन्मता है और न मरता है और न
👽 यह एक बार होकर फिर अभावरूप होने वाला है।
👻 आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है, शरीर के नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता 💀 ।

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☝️ सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता 🙂 ना इस लोक में है ना ही कहीं और। v

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☝️ जिसने मन को जीत लिया है, उसने पहले ही परमात्मा 🙏 को प्राप्त कर लिया है, 🙂 क्योंकि उसने शान्ति प्राप्त कर ली है। ऐसे मनुष्य के लिए सुख-दुख, सर्दी-गर्मी और मान-अपमान एक से है। 🙂

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☝️ जो दान कर्तव्य समझकर, बिना किसी संकोच के, किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दिया जाए, वह सात्विक माना जाता है। 🙂

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☝️ ईश्वर, ब्राह्मणों, गुरु, माता-पिता जैसे गुरुजनों 🙏 की पूजा 🙂 करना तथा पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा ही शारीरिक तपस्या है। v

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☝️ भगवद गीता के अनुसार नरक के तीन द्वार होते है, वासना, क्रोध और लालच। 🙂

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☝️ जो मुझे सब जगह देखता है और सब कुछ मुझमें देकता है 🙂 उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है। 🙂

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☝️ मैं हर जीव के ह्रदय में परमात्मा स्वरुप स्थित हूँ। 🙂 जैसे ही कोई किसी देवता की पूजा करने की इच्छा करता है, मैं उसकी श्रद्धा को स्थिर करता हूँ, जिससे वह उसी विशेष देवता की भक्ति कर सके। 🙂

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☝️ जो महापुरुष मन की सब इच्छाओं को त्याग देता है और अपने आप ही में प्रसन रहता है, उसको निश्छल बुद्धि कहते है। 🙂

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☝️ जो विद्वान् होते है, वो न तो जीवन के लिए और न ही मृत के लिए शोक करते है। 🙂

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☝️ हे अर्जुन! जो जीवन के मूल्य को जानता हो। इससे उच्चलोक 🙂 की नहीं अपितु अपयश प्राप्ति होती है। 🙂

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☝️ जो पुरुष सुख तथा दुख में विचलित नहीं होता और इन दोनों में समभाव रहता है, 🙂 वह निश्चित रूप से मुक्ति के योग्य है। 🙂

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☝️ जिस प्रकार मनुष्य पुराने कपड़ो को त्याग कर नये कपड़े धारण करता है, 🙂 उसी प्रकार आत्मा पुराने तथा व्यर्थ के शरीरों को त्याग कर नया भौतिक शरीर धारण करता है। 🙂

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